बुधवार, 11 अगस्त 2010

मज़ा किरकिरा मत करो यार

पीपली लाइव में दो लोकगीत सुनने को मिले, मजा आ गया। महंगाई डायन के बाद अब माटी का चोला धूम मचा रहा है। इनमें से माटी का चोला छत्तीसगढ़ का है। फिल्म में दोनों गानों को जितनी संजीदगी से लिया गया है, हम उतनी ही संजीदगी से सुन भी रहे हैं। महंगाई डायन जब पहली बार बजा तो लगा जैसे ये गीत मैंने ही लिखा है। यही हाल दूसरे गाने का भी है, मैं याद करने की कोशिश कर रहा हूं कि इसे मैंने कब लिखा होगा? ऐसा भी लगता है कि इन गीतों को मैंने ही पहली बार गाया था..आमिर खान कृपया इस ओर भी ध्यान दें। छत्तीसगढ़ी गाने चोला माटी के हे राम की रायल्टी हबीब तनवीर की बिटिया नगीन ने हासिल की है, इस गीत को लिखने का दावा करने वाले स्व.गंगाराम शिवारे का परिवार दुखी है। नगीन का कहना है कि इस गीत की रायल्टी उनके पास है और इसे लेकर किसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए, यदि इसे गंगाराम शिवारे ने लिखा है तो उन्होंने हबीब साहब के निर्देशन लिखा होगा।...हबीब तनवीर काफी दिग्गज कलाकार थे, वे कवियों की संवेदना को भी निर्देशित करने की क्षमता रखते थे यह मुझे पहली बार पता चला है। नगीन ने मेरे मन में उनके प्रति सम्मान और बढ़ा दिया है। हबीब साहब की बिटिया होने के नाते नगीन के प्रति सम्मान तो है ही। अच्छा लग रहा है कि बेटी भी पिता की राह पर चल रही है। नगीन ने एक और बात कही है-इस गीत की धुन ट्राइबल है, इसका श्रेय किसी को नहीं लेना चाहिए। देखिये कितनी ईमानदारी है नगीन में। सास गारी देवे की धुन भी ट्राइबल थी, लेकिन तोड़मरोड़ कर उसका श्रेय रहमान ले उड़े। नगीन ने रिमिक्स नहीं किया नहीं तो ये गाना कुछ ऐसा होता..एखर का भरोसा चोला माटी के हे राम॥ओए होए...ओए होए।॥नगीन ने जो अहसान हम पर किया है कम से कम उसकी खातिर रायल्टी की दावेदारी हमें स्वीकार कर लेनी चाहिए। रही बात गंगाराम शिवारे की तो उनका परिवार तो गरीबी का आदी है ही, वो वैसे ही जी लेगा। उन लोगों को नाम की भी क्या जरूरत? हबीब साहब की बिटिया नगीन और गंगाराम शिवारे के बेटे •ौयालाल के इस पचड़े में घिस-घिस कर लोकगीत के शब्द भोथरे हो रहे है...एखर का भरोसा चोला माटी के हे राम। चलिए छोड़िए ये सब...इस वक्त कम से कम मुझे तो इस गीत का रस ले लेने दीजिए। मजा किरकिरा मत कीजिए प्लीज।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें